यूं तो मौसम उजला था
पर मन में सबकुछ धुंधला था
कोयल कूक रही थी बागों में
सब डूब रहे थे अनुरागों में
मैं ही केवल थी एक व्यथित
चाहकर भी मेरे अंदर का
मौसम अभी ना बदला था
एक रोज सुबह थी अलसाई
दूर एक किरण दी दिखलाई
उसने कुछ पल के लिए
मन में आशा की अलख जगाई
किंतु समय ने हर बार ही
मेरे मन को कुचला था
मैंने आज समय को जाना है
उसका क्रूर रूप पहचाना है
जो आज साथ है वह कल नहीं
इस बात को भी मैंने माना है
किंतु अतीत को पाने की
इच्छा से व्यक्तित्व कुछ दहला था
यूं तो मौसम उजला था
पर मन में सबकुछ धुंधला था...
पर मन में सबकुछ धुंधला था
कोयल कूक रही थी बागों में
सब डूब रहे थे अनुरागों में
मैं ही केवल थी एक व्यथित
अवसादों से घिरी और ग्रसित
चाहकर भी मेरे अंदर का
मौसम अभी ना बदला था
एक रोज सुबह थी अलसाई
दूर एक किरण दी दिखलाई
उसने कुछ पल के लिए
मन में आशा की अलख जगाई
किंतु समय ने हर बार ही
मेरे मन को कुचला था
मैंने आज समय को जाना है
उसका क्रूर रूप पहचाना है
जो आज साथ है वह कल नहीं
इस बात को भी मैंने माना है
किंतु अतीत को पाने की
इच्छा से व्यक्तित्व कुछ दहला था
यूं तो मौसम उजला था
पर मन में सबकुछ धुंधला था...
writing style apki bahut badiya hai,,
ReplyDeletekeep it up........
very nice sharbani....wow!
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