Monday, February 7, 2011

तब और अब...


कभी पलकों में सपने रहा करते थे...
कभी हम भी हसरतें रखा करते थे...
कभी पुर्वाईयाँ कानो में कुछ कहती थीं...
कभी उमंगें नस नस में आग बनके बहती थीं...

आज ना जाने कहाँ खो गई वो हसरतें
कांच की किरचों से अब चुभते हैं टूटे सपने...
उमंगें अब बर्फ सी ठंडी होकर
नसों को जमा देती हैं...

Wednesday, February 2, 2011

कहाँ खो गए वो दिन....


ये वो दौर था जब हम साथ हुआ करते थे
उस दौर में दोनों स्वछन्द रहा करते थे...
कल क्या होगा इसकी फिक्र नहीं होती थी
हम आज में खुश थे और उसे ही जिया करते थे...

कई दौर आये और चले गए...
लेकिन वो दौर ना लौटा फिर कभी
लगता है की तेरे संग मेरी
ज़िन्दगी भी कहीं खो गई...