Tuesday, October 10, 2017

बेमुकम्मल मोहब्बत

ना वो खामोशी की जुबां समझ सका
ना मुझसे लफ्जों में जज़्बात बयां हुए...
ये सच है इश्क दोनों को था,
मगर हमारे मिलने के हालात ही कहां हुए...
कुछ हलचल तो हुई थी इस जहां में
जब नजरें दो चार हुई थीं...
मगर यायावरी तेरी फितरत थी
सो मेरे इरादे बस दर्द में फना हुए...

एक बार तो सुन लो, वो जो मैं कह न सकी....

सुनो,
अगर तुम इस मौसम में थोड़ा इश्क छिड़क देते
तो बारिश में धुले रंग कुछ और निखर जाते...
अगर इस कुनकुनी सी ठंड में जो दोनों एक लिहाफ ओढ़ लेते
तो शीशे पर जमी भाप पर एक दिल बना पाते...

सुनो ना,
अगर तुम केसर की छोटी डिब्बी में प्यार भरकर दे देते
तो जिंदगी के कई साल उसकी खुशबू से महक जाते...
अगर तुम उस दिन कुछ और वक्त तक मेरी आंखों में देख पाते
तो शायद मेरी तरह तुम भी मोहब्बत की गिरफ्त में आ जाते

अगर तुम ये सारी बातें सुन पाते
जो जानते कि हर उस पल जब तुम पास होकर भी दूर थे
मैं तुम्हारे करीब आने का इंतजार कर रही थी
उस वक्त अगर तुम वॉट्स एप की जगह मेरी बातें सुन लेते
तो शायद वो सुन पाते जो मैंने नहीं कहा था....