इक रोज गजब बड़ा
यार हो गयाएक आशिक को मुजस्समे से
प्यार हो गया
जिस रोज उसे देखा,
वो देखता ही रह गया
कुछ समझ न पाया क्यों
दिल उससे लग गया
खुद भी समझ न पाया वो
यूं दिल पे किसका इख्तेयार हो गया
उसकी कशिश में क्यों बंधा
क्यों उससे प्यार हो गया
संगमरमर के उस बुत में
कुछ बात ही अलग सी थी
जो दिल को छू जाए
मासूमियत कुछ ऐसी उसमें थी
उस मासूमियत ने उसे यूं छुआ
कि वो ज़ार ज़ार हो गया
और वो संभल न सका
उसे उससे प्यार हो गया...
Wah.
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