अनजान राहों पर, चलते हुए यूँ ही
तुम्हारी याद आती है....
सड़क के किनारे पर, लगी उस बेंच को देखकर
तुम्हारी याद आती है...
मैं खड़ी थी फाटक पर, गई जब रेल गुज़रकर
तो याद आ गया मुझको, तेरे साथ का सफ़र...
उस सफ़र की यादें, गाहे बगाहे आ ही जाती हैं
मुझको बड़ा सताती हैं...
कभी लौटेंगे वो दिन भी
अभी उम्मीद है बाकी
दिल यही कहता है बार बार
जब भी तुम्हारी याद आती है...
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