Saturday, June 4, 2011

ख़ुशी!!!

आज अपने नसीब पर इठलाने को जी चाहता है...
खुश हूँ इतनी आज, के मेरा गुनगुनाने को जी चाहता है...

दुआओं भरा एक दिन नसीब हुआ है मुझे भी...
इस दिन को दिल में कैद कर लेने को जी चाहता है...

कुछ अपने भूल गए होंगे शायद मुझे लेकिन
अब गैरों की दुआओं से घर बसाने को जी चाहता है...

सोचा था की अब कोई ना बदल पायेगा मुझे
पर दोस्तों के प्यार की खातिर बदलने को जी चाहता है...

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