Monday, June 27, 2011

वो लड़की कहां खो गई...

जिंदगी के सफर के
इस पड़ाव पर आकर सोचा
थोड़ा ठहर लूं मैं
और आराम फरमा लूं जरा

एक जगह छांव में बैठकर
सुस्ताते हुए सोचा के
इस बहाने नफा नुकसान भी
जोड़ लूं जिंदगी का

देखा तो बहुत पाया था
बचपन के दौर में मैंने
दोस्त, साथी, हमसफर और
परिवार के साथ तय किया मैंने वो सफर

कदम जवानी के दौर में
जब रखा मैंने लापरवाही से
तो सोचा भी न था कि
बहुत कुछ जल्द बदलने वाला है

अचानक देखा तो जिंदगी का मौसम
रुख बदलने लगा था
तेज हवाओं के उस मौसम ने
मेरे अंदर की नमीं चुरा ली थी

यहीं नहीं रुका मौसम का खिलवाड़
आंधी-तूफानों और झंझावतों ने
मेरे निश्छल और नाजुक मन को
बिल्कुल दिया उजाड़

रही सही कसर कहीं
आगे पूरी हो गई
और मेरे अंदर रहने वाली लड़की
न जाने कहां खो गई....

1 comment:

  1. tum to gai..............abhi bhi time hai shadi kar lo...mera jaisa koi banka jawan khoj lo..

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