Tuesday, June 21, 2011

तेरी आंखों का वो सुरमा

तेरी आंखों का वो सुरमा
अंधियारी रात के जैसा
जो फैला तो दिन में भी
जैसे रात हो गई

इन आंखों की नमीं देख
बादल भी पिघल गए
बदला यूं मौसम की
बरसात हो गई

ये आंखें भी हैं अजीब
जो मुझसे बात करती हैं
तू जब भी देखे पलट मुझको
तो तुझसे बात हो गई

दिल चाहता है बस यही
कि तेरी आंखों में भी चमक हो
ये उसका भी दिल जीतें
जिससे मात हो गई...

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