Monday, June 27, 2011

थोड़ा वक्त अपने साथ गुजार लूं

आंखें बंद कर जरा देर
बीते वक्त को निहार लूं
जी करता है आज थोड़ा वक्त
अपने साथ गुजार लूं...

पलों में कैद है जिंदगी और
जिंदगी चंद पलों में बीत जाती है
जो पल छूट जाते हैं हमसे
याद उनकी बड़ा सताती है...

उन यादों पर चढ़ी धूल को
जरा सा मैं बुहार लूं
जी करता है आज थोड़ा वक्त
अपने साथ गुजार लूं...

जो चेहरे कभी बेहद प्यारे थे हमें
आज सिर्फ उनकी परछाई नजर आती है
न जाने क्यों उन चेहरों की याद
वक्त के साथ धुंधली पड़ती जाती है

उन चेहरों की तस्वीरें
अपने दिल में उतार लूं
जी करता है आज थोड़ा वक्त
अपने साथ गुजार लूं...

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