Tuesday, October 10, 2017

बेमुकम्मल मोहब्बत

ना वो खामोशी की जुबां समझ सका
ना मुझसे लफ्जों में जज़्बात बयां हुए...
ये सच है इश्क दोनों को था,
मगर हमारे मिलने के हालात ही कहां हुए...
कुछ हलचल तो हुई थी इस जहां में
जब नजरें दो चार हुई थीं...
मगर यायावरी तेरी फितरत थी
सो मेरे इरादे बस दर्द में फना हुए...

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