Wednesday, February 15, 2012

....कुछ और चाहिए

थोडा सुकून चाहिए थोडा आराम चाहिए
मुझे ज़िन्दगी में अब एक मुकाम चाहिए...

सुबह की भाग दौड़ थका देती है मुझे
तेरे संग बिता सकूँ वो शाम चाहिए...

मशीनी ज़िन्दगी है, ना दिल है ना जज्बात
फिर से इंसा बन सकूँ ये इनाम चाहिए...

सुनहरी किताब में कहीं ज़िक्र नहीं मेरा
मुझे मेरे हिस्से का वहां नाम चाहिए

मेरे हिस्से के गम तो तुने दे दिए खुदा
अब मुझे मेरे हिस्से की खुशियाँ तमाम चाहिए....

वो मोहब्बत नहीं है...

मोहब्बत ज़िन्दगी है या सिर्फ एक सजा है
ये वो दौर है जिसमे चोट खाने में भी मज़ा है
सच्चों के लिए ये दो दिलों का मेल है
झूठों के लिए ये महज़ एक खेल है
रंग रूप बदला हो भले ही इसका
मगर आज भी पैमाना वही है
जो आग के दरिया से ना गुज़रे
वो मोहब्बत नहीं है...

कहते इसे मोहब्बत हैं...

दिल की सरसराहट है वो
और है वो जिस्म की तपिश

वो मीठा सा दर्द भी है
और है सीने की खलिश

जो हकीकत में तब्दील हो रहा
यही है वो अफसाना

यहाँ ज़िन्दगी सजा लगे
और मौत बने नजराना

ये वो जज्बा है जिसमे
बला की शिद्दत है

नाम तो बहुत है इसके मगर
कहनेवाले कहते इसे मोहब्बत हैं...

Saturday, February 11, 2012

उस मुलाकात का असर अब भी है

उस मुलाकात का असर अब भी है
मेरे हिस्से में सहर अब भी है

पेशानी की लकीरों में कुछ तो बात होगी
के हम पर ज़िन्दगी की नज़र अब भी है

पेचीदगियों में उलझने का गिला नहीं मुझे
मेरे घर में सुकून का बसर अब भी है

मंजिल मिल ही गई तो फिर रुकना होगा
शुक्र है मेरे हिस्से में सफ़र अब भी है...

खुदा हो जाऊं अगर हर डर पे फतह हासिल कर लूं
मैं इंसा हूँ, मुझमे बाकी कुछ डर अब भी है...

Friday, February 10, 2012

शब्दविहीन मैं, भावनाविहीन तुम


मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में
व्यक्त करने में असमर्थ थी

और तुममें अपने शब्दों में भावनाओं का
समावेश करने का सामर्थ्य ना था...

मेरी भावनाएं बिना शब्दों की मदद के
तुम तक पहुचने का सेतु तलाश रही थीं

और तुम्हारे शब्द भावनाओं की कमी के कारण
मुझे शूल से भेदते जा रहे थे...

शब्दों की लम्बी खोज में मैंने
तुम तक पहुचने में देर कर दी

और तुम भी भावनाओं के अभाव में
खोखले शब्दों के जाल में उलझकर रह गए...