Saturday, June 4, 2011

सौंधी सी खुशबु...

कहीं दूर से सौंधी सी खुशबु आई है मुझे
लगता है के मौसम बदलने वाला है...

धुप के नश्तर अब ना चुभेंगे मुझको
वो जल्द ही बादलों की चादर में छुपने वाला है...

रिमझिम फुहारों से तर होगी ज़मीं...
मेरा तन भी मन भी तर होने वाला है...

इस बार धरती को प्यासी ना रखना ऐ खुदा...
हमें मालूम है के बारिश की शक्ल में तेरा प्यार बरसने वाला है...

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