ज़िन्दगी हमसे रूठी रही न जाने किस बात पे
हम भी उसे मनाते रहे शिद्दत से, जज़बात से
हार मानेंगे नहीं, हमको ये कसम है
काफिरों से कह दो की जिगर में बाकी अभी दम है
ये दावा है अपना कि कभी वक़्त लेगा करवट हमारी ओर
घना अँधेरा चीरकर, इठलाएगी भोर।।