वो मेरा आज नहीं है और कल भी नहीं
मेरी परेशानियों का वो कोई हल भी नहीं
जिंदगी की किताब का एक पन्ना है वो
ख्वाहिशों की छांव में जन्मा सपना है वो
मेरे बस में नहीं उसको मैं दरकिनार करूं
लेकिन कोई अस्तित्व नहीं उसका जिसे स्वीकार करूं
कभी लगता है कि मेरा सरमाया है वो
तन्हाइयों में जो साथ रहे, ऐसा साया है वो
कोहरे की मोटी चादर से छनकर आता अक्स है वो
मैं उसे जानती नहीं मगर, पहचाना सा शख्स है वो
मेरी परेशानियों का वो कोई हल भी नहीं
जिंदगी की किताब का एक पन्ना है वो
ख्वाहिशों की छांव में जन्मा सपना है वो
मेरे बस में नहीं उसको मैं दरकिनार करूं
लेकिन कोई अस्तित्व नहीं उसका जिसे स्वीकार करूं
कभी लगता है कि मेरा सरमाया है वो
तन्हाइयों में जो साथ रहे, ऐसा साया है वो
कोहरे की मोटी चादर से छनकर आता अक्स है वो
मैं उसे जानती नहीं मगर, पहचाना सा शख्स है वो
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