सब कहते हैं वह मृग तृष्णा है
पर मैंने सदा उसे सच माना है
कितनी भी दूरी तय करनी पड़े
पर मुझे उसे बस पाना है
मुझे क्षितिज तक जाना है...
कठिनाईयों भरा होगा सफर
कांटों से भरी होगी लंबी डगर
किस्मत को भी साथ देने के लिए
किसी प्रकार मनाना है
मुझे क्षितिज तक जाना है
अंधकार भरी राहों में
कभी मन विचलित हो जाता है
दिशाएं भ्रम पैदा करती हैं
किस ओर बढूं समझ नहीं आता है
लेकिन मुझे अपने लक्ष्य से
मुझे क्षितिज तक जाना है...
पर मैंने सदा उसे सच माना है
कितनी भी दूरी तय करनी पड़े
पर मुझे उसे बस पाना है
मुझे क्षितिज तक जाना है...
कठिनाईयों भरा होगा सफर
कांटों से भरी होगी लंबी डगर
किस्मत को भी साथ देने के लिए
किसी प्रकार मनाना है
मुझे क्षितिज तक जाना है
अंधकार भरी राहों में
कभी मन विचलित हो जाता है
दिशाएं भ्रम पैदा करती हैं
किस ओर बढूं समझ नहीं आता है
लेकिन मुझे अपने लक्ष्य से
आसान नहीं भटकाना है
मुझे क्षितिज तक जाना है...