Thursday, April 28, 2011

मुझे क्षितिज तक जाना है

सब कहते हैं वह मृग तृष्णा है
पर मैंने सदा उसे सच माना है
कितनी भी दूरी तय करनी पड़े
पर मुझे उसे बस पाना है

मुझे क्षितिज तक जाना है...

कठिनाईयों भरा होगा सफर
कांटों से भरी होगी लंबी डगर
किस्मत को भी साथ देने के लिए
किसी प्रकार मनाना है

मुझे क्षितिज तक जाना है

अंधकार भरी राहों में
कभी मन विचलित हो जाता है
दिशाएं भ्रम पैदा करती हैं
किस ओर बढूं समझ नहीं आता है

लेकिन मुझे अपने लक्ष्य से
आसान नहीं भटकाना है

मुझे क्षितिज तक जाना है...

3 comments:

  1. "Shoot for the moon. Even if you miss, you'll land among the stars."

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  2. बहुत खूब शरबानी। एकदम मंझी हुई कवयित्री की तरह लिखी है सारी लाइनें। भाव, मीटर सब एकदम परफेक्‍ट है। अब तो बस छू लो क्षितिज को और लिख दो एक किताब।

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  3. क्षितिज तक नही, उसके पार आपको जाना है ,
    क्षितिज पर रोशनी इतनी होती है कि उसके पार क्या है यह नही दिखाता,
    पर कुछ चीजे स्वयं महसुस कि जाती है ,
    कोइ बता नही सकता |

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