Tuesday, May 24, 2011

सरपट भागती जिंदगी

जिंदगी की सरपट दौड़ में
मन करता है कि कहीं दो पल रुक जाऊं
और झांक लूं थोड़ा सा अतीत के झरोखे में
छिपी है जहां मेरे बचपन की मस्ती
अल्हड़ और महकता यौवन

उस झरोखे से सुनाई देते हैं मुझे
बहन के प्यार भरे उलाहने
दिखाई देती है मेरी छोटी सी ख्वाइश को भी
शिद्दत से पूरी करने की उसकी लगन

कहीं दूर से यादों का गुबार भी
उठता सा नजर आता है
प्यार की खुशबू तो महसूस होती है
मगर नजर कुछ भी नहीं आता है

इस झरोखे से बहुत कुछ
दिखता और सुनाई देता है
जो इस बात का सबूत है कि
इस दौड़ का हिस्सा बनने से पहले
कभी हम भी जिंदा हुआ करते थे...

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