Saturday, May 28, 2011

प्रेम ही जीवन है...

प्रेम दुख है, प्रेम कष्ट है
प्रेम हृदय का क्रंदन है
फिर भी मन का प्रेम के प्रति
मोह नहीं होता कम है..

अहसासों का है ये महासंगम
प्रेम ही सच्चा हमदम है...

दो पल खुशियां, फिर ढेरों गम
सदैव से चलता आ रहा यही क्रम
गुणी-ज्ञानी जन सबको पता है
फिर भी वे उलझे इस भ्रम में

ढाई आखर का यह पोथी
सब पढऩा चाहें जीवन में...

जानूं मैं भी अंदर हैं कांटे
दूर से दिखते इस मधुबन में
पग-पग की बाधा पार करना
आसान नहीं है इक क्रम में..

लेकिन इसके बिना कुछ नहीं है पूरा
यह भी जानूं, प्रेम से ही संपूर्ण जीवन है...

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