Wednesday, October 12, 2011

मुझे मत याद करना

मुझे मत याद करना और 
मुझे ना याद आना तुम...
कहीं टकरा भी जाओ तो 
मुझसे नज़रें ना मिलाना तुम...

मेरे परवाजों पर अब 
बंदिशें नहीं हैं बाकी
तुम्हारी डोर से बंधी थी कभी 
ये भी भूल जाना तुम

तुम्हारे जाने से भले ही 
दिल सूना हो गया है लेकिन
मुझे फिर दर्द देने कभी 
वापस ना आना तुम....

2 comments:

  1. sach me yahee man karta hai
    kabhi kisee se itna jyada lagaav hota hai
    lekin cheejen jab pata lagtee hain
    to man karta hai
    isee duniya me do alag alga duniya ban jayen aur hum kabhi kisee raste me
    ek doosre ke saamne na aayen.
    heart touching poem.

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