Tuesday, December 28, 2010

बचते ही रहे

ज़िन्दगी भर हम
किसी ना किसी से बचते ही रहे
छोटे थे तो होमवर्क करने से बचते थे
थोड़े बड़े हुए तो पापा को
रिपोर्ट कार्ड दिखने से बचने लगे
फिर गर्ल फ्रेंड के चक्कर में
दोस्तों से नज़र बचाने लगे
शादी हुई तो बीवी के साथ शुरू हुआ
लुका-छिपी का खेल
बच्चा पैदा होते ही
होने लगी रेलम पेल
बचते थे उससे की उसे पता ना चले
हमारा कोई ऐब
ज़िन्दगी के आखिरी पड़ाव पर पहुचकर लगा
यूँ ही भागते रहे ज़िन्दगी भर
बचने बचाने में
जीना बस भूल गए हम
यूँ दांव लगाने में...

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