ज़िन्दगी भर हम
किसी ना किसी से बचते ही रहे
छोटे थे तो होमवर्क करने से बचते थे
थोड़े बड़े हुए तो पापा को
रिपोर्ट कार्ड दिखने से बचने लगे
फिर गर्ल फ्रेंड के चक्कर में
दोस्तों से नज़र बचाने लगे
शादी हुई तो बीवी के साथ शुरू हुआ
लुका-छिपी का खेल
बच्चा पैदा होते ही
होने लगी रेलम पेल
बचते थे उससे की उसे पता ना चले
हमारा कोई ऐब
ज़िन्दगी के आखिरी पड़ाव पर पहुचकर लगा
यूँ ही भागते रहे ज़िन्दगी भर
बचने बचाने में
जीना बस भूल गए हम
यूँ दांव लगाने में...
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