Tuesday, December 28, 2010

नयी सुबह

सूरज ने ढलते हुए कहा था मुझसे ....
एक सुबह फिर तेरी ज़िन्दगी में आएगी ....

रात के अंधेरों में ही तो राह ढूंढनी है
तभी उजालों में पहचान बन पायेगी.....

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