Thursday, April 21, 2011

लौट आओ ना

तुम ऐसे गए, जैसे जिंदगी में कभी आए ही नहीं थे
लेकिन दिल उन लम्हों को बार-बार याद करता है

जो दो पल हमने साथ गुजारे
उन्हें याद करके, वक्त बर्बाद करता है

मैं जानती हूं कि अब के जो गए हो तो वापस ना ओगो
लेकिन कमबख्त दिल मुझपे हंसता है

पगला है बेचारा, जो ये समझता है
कि तुम एक दिन जरूर लौट आओगे

मैं जानती हूं कि तुम़्हारी जिंदगी में
मेरी कोई भी अहमियत बाकी नहीं

लेकिन अपने पागल दिल की खातिर तुमसे इल्तजा करती हूं
अगर जो कभी मेरी मोहब्बतमें सच्चाई नजर आई हो

तो तुम उस मोहब्बत, उस यकीन, उस पुराने वक्त के लिए ही सही
मगर, लौट आओ ना...

6 comments:

  1. दिल की बात दिल से निकली है। क्‍या खूब शरबानी। कविता के बीच में थोड़ा मीटर गड़बड़ा गया है। साथ ही वह दर्द भी शायद ज्‍यादा नहीं उभर पाया है, जो दिल के किसी कोने में कहीं छिपा है। शायद अगली बार इससे बेहतर कविता पढ्ने को मिलेगी।

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  2. MY DEAR THIS IS REALLY VERY TOUCHING.
    SACHCHE MAN SE PRARTHANA HAI KI KABHI KOI APNA TUMHE NA BHULAYE AUR KASAM SE JISNE TUMHARA DIL DUKHAYA HAI AGAR USKA PATA CHAL JAYE TO USE ITNA PITU KI WO TUMHE SAT JANAM TAK NAA BHULE .

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  3. Sarvesh and Amritanshu... Thanks For appreciation... Saumitra ji aapki baat ka dhyan rakhungi and Kshma.. Kya kahun, tumhara bahut bahut shukriya jo tumne meri kavita padhi aur mujhe itna pyar diya... :)

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  4. really nice ...bilkul ye उन्मुक्त उड़ान hi hai aapki bhavanaon ke दिल उन लम्हों को बार-बार याद करता है........sach me yahi to wo line hai.........

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