Thursday, September 29, 2011

मैंने तुम्हे माफ़ किया और भुला भी दिया
फिर भी तुम्हे माफ़ नहीं कर पाती और
तुम्हारी याद भी गाहे-बगाहे आ ही जाती है...

मैं खुश हूँ की तुम खुश हो मेरे बिना और
आगे बढ़ रहे हो जीवन में मगर,
मुझे बुरा लगता है की क्यों खुश हो मेरे बिना
और क्यों मुझे छोड़ आगे बढ़ रहे हो....

मैं भी निकल आई हूँ नई राहों पर
बहुत से नए पड़ाव भी पार किये मैंने
मगर एक सच ये भी है की आज भी मैं
खड़ी हूँ उसी जगह जहाँ तुम छोड़ गए थे...

तुम्हारी यादों से अब मुझे कोई वास्ता नहीं
ना ही याद करने की फुर्सत है मुझे
पर जब तुम्हारी याद आती है तो
ना जाने क्यों आंसू दर्द बनकर बहने लगते हैं.....

Wednesday, September 28, 2011

तेरे आगोश में सो लेने दे...

तेरी गोद में रखकर सिर
जी भरके रो लेने दे
कुछ पल मुझे सुकून से
तेरे आगोश में सो लेने दे...

सोचा था तुझे दूर होकर
मिलेगा कुछ चैन मुझे
तुझसे दूर जाने की कोशिश में
याद करता रहा मैं तुझे

पुरसुकून की तलाश में
भटकते हुए को खुद में डुबो लेने दे...
कुछ पल मुझे सुकून से
तेरे आगोश में सो लेने दे...

तुझे डर था जमाने की
रुसवाइयों से उम्र भर
कायर मैं भी रहा शायद
पकड़ न सका तेरा हाथ हिम्मत कर

मौत करीब खड़ी है मेरे
अब तो तेरा हो लेने दे
कुछ पल मुझे सुकून से
तेरे आगोश में सो लेने दे...

Thursday, September 22, 2011

मेरी जिंदगी...

कुछ खाली, खफा सी,
वो लगती बेवफा सी
ख्यालों में रहकर भी,
वो रहती जुदा सी

वो सपनों में जीती,
पर हकीकत में रीती
जो भी उसने है देखा,
बनी आप-बीती

वो अलग और अनूठी,
रहे खुशियों से रूठी
हजार सच्चाइयां है जाने,
पर लगती है झूठी

उसकी मंजिल तो साफ है,
मगर राहों में गंदगी है
कोई और नहीं है ये,
मेरी जिंदगी है...

Wednesday, September 14, 2011

उलझा हुआ सा कुछ

ना धूप का असर है, ना ठंड की लहर
रात कटती नहीं, जाने कब होगी सहर

सबकुछ धुंधला, धुआं धुआं
हर एक सपना अब तक अनछुआ

नम होते गिलाफ, वक्त अपने खिलाफ
कोई तो ओढ़ा दे गर्म जिस्म का लिहाफ

साज छेड़े है धुन, दर्द उनकी पुकार
याद आते हैं गुजरे हुए लम्हे बार-बार

दिल है थोड़ा निराश, प्यार उसकी तलाश
बुत को जिंदा करना चाहे संगतराश

कौन है वो दुश्मन जिसने छीना अमन-चैन
किसी तस्वीर की हकीकत ढूंढ़ते दो नैन...


कुछ है उलझा हुआ, किसी को सुलझने की आस
अतृप्त आत्माएं भटकती आसपास....

Tuesday, September 13, 2011

किसी का दर्द, किसी की सौगात

एक रुई का फाहा
हल्का हो ऊपर की ओर उड़ता रहा
आसमान तक पहुंचा तो
बादल बन गया...

जमाने की गंदगी से बच नहीं पाया
तो रंग उसका मैला हो गया
दर्द से आंख नम हुई उसकी और
वो बरसात बन गया....

आंसू उसके अमृत बनकर
जमीं पर बरसे, किया उसे तर
उसका गम आदमी के लिए
सौगात बन गया....

Saturday, September 10, 2011

अवसादित मन

विचलित हो, ना जाने क्यों
स्मृतियों के घने अरण्यों में
करता रहे विचरण
यह मेरा अवसादित मन...

ढूंढ़े प्रेम प्रगाढ़, झेले विचारों की बाढ़
कभी ना पूरे हो सकने वाले
सपनों पर करता रहे चिंतन
यह मेरा अवसादित मन...

ऋतुएं जब बदले रंग,
क्षण भर को रहे उमंग
किंतु तुरंत, अकारण ही करने लगे क्रंदन
यह मेरा अवसादित मन...

Tuesday, September 6, 2011

यायावर

बेफिक्र हस्ती, जिनपे छाई रहे मस्ती
चलते हैं जो अंजान राहों पर निडर
हां, वही कहलाते यायावर....

सबकी अपनी तलाश, वे न होते हताश
ना पाने की ख़ुशी और न ही खोने  डर
हां, वही कहलाते यायावर...

सोच उनकी प्रबल, उनको भाए नवल
जिनकी मंजिल हैं रास्ते, ना कि घर
हां, वही कहलाते यायावर...

Monday, September 5, 2011

रुका हुआ सा कुछ...

कहीं शाम ठहर सी गई है
कहीं रात ढलने लगी है....

कहीं उम्र सरपट है भागे
कहीं वक्त बढ़ता नहीं है...

कहीं लफ्ज अटके हुए हैं
कहीं आंखों ने बात कह दी है....

कहीं मंजिल है अगले कदम पर
कहीं मिराज़ों की कमी नहीं है...

कहीं शोर बहरा किए है
कहीं लंबी खामोशी सजी है...

कहीं नफरत देती है ज़ख्म और
कहीं मोहब्बत घाव भरने लगी है...

कहीं बाकी है कोहरे की चादर
कहीं धूप खिल सी उठी है....