एक रुई का फाहा
हल्का हो ऊपर की ओर उड़ता रहाआसमान तक पहुंचा तो
बादल बन गया...
जमाने की गंदगी से बच नहीं पाया
तो रंग उसका मैला हो गया
दर्द से आंख नम हुई उसकी और
वो बरसात बन गया....
आंसू उसके अमृत बनकर
जमीं पर बरसे, किया उसे तर
उसका गम आदमी के लिए
सौगात बन गया....
बेहद खूबसूरत रचना है
ReplyDeletethanks
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