कुछ लटें ढुलक आती हैं चेहरे पे उसकी
जब हया से उसका सिर झुक जाता है...
उस पल को धडकनें तेज़ हो जाती हैं और
कभी ना थमने वाला वक़्त भी रुक जाता है...
ऐसा नहीं के वो बेपनाह हुस्न का मालिक है
बस खुद पे सादगी को ओढ़े रहता है...
लब खामोश रहते हैं अक्सर उसके
निगाहों से वो औरों को खुद से जोड़े रहता है...
हर तरफ उसके
एक सुकून सा बिछा रहता है
एक अलग कशिश सी है उसमे
जो हर शख्स उसकी ओर खिचा सा रहता है...
उसके होने से गोशे गोशे में
रौनक सी हो जाती है
मेरी परेशानियाँ भी उन पलों में
ना जाने कहाँ गुम सी हो जाती हैं...
Khoobsoorat ehasaas ko behad pyare andaaz mein aapne likha hai. Yakeenan saadgi humesha se hi subko aakrshit karti rahi hai, ye aisi cheez hai, jiska aakarshan poori zindgi khatm nahin hota hai.
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