Wednesday, July 27, 2011

नैनों की गागर

नैनों की गागर जब भर जाए
अंसुअन के मोती छलक जाएं

इनके संग बहे दर्द जिया का
संदेसा नहीं आवत पिया का

अब कौन कांधे संग बांटू मैं पीर
मोरा कान्हा छोड़ गया मोहे नदिया के तीर

वहीं बाट जोहूं और अंसुअन मैं बहाऊं
पर कान्हा के बिना अब घर न जाऊं...

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