Wednesday, June 15, 2011

बारिश में मचलती ख्वाहिशें...


बदरा की गरजती बरसती धुन पर
थिरकती बरखा की बूँदें...
टपरों पर पड़ती उनकी थाप से उठता संगीत...
और इन् सबके साथ ताल मिलाने की हूक....

काश इस मौसम का मज़ा घर पर बैठकर नहीं 
बल्कि सड़कों पर घुमते हुए लिया जा सकता...
वहीँ बड़े तालाब के किनारे खड़े होकर या फिर
VIP रोड पर किसी का हाथ थामे टहलते हुए...

रिमझिम बारिश में होती एक लॉन्ग drive
भुट्टे की महक और बातों की लम्बी झड़ी...
कहीं रुक कर करते हम भी रेन डांस
और हम भी महसूस कर सकते इस मौसम का रोमांस..

1 comment:

  1. बारिश में पनपने वाली ख्वाहिशों को अपनी कलम की स्याही से सींचती रहिये.. वो और खिल जाएंगी .. ये पंक्तियाँ मौसम के हिसाब से मौजूं हैं

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